पागल हुई रसोई---बाल गीत—--देवेन्द्र कुमार
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मां गुस्सा थी सारे घर से
पागल हुई रसोई
पापा ने जब गैस जलाई
खुद ही पानी डाल बुझाई
डिब्बा-डिब्बा ढूंढ़ थके हम
चीज मिली न कोई
सब कुछ उलट पलट कर डाला
गिरा दूध में गरम मसाला
मुन्नी ने जो घूंट भरा तो
चीख-चीख कर रोई
मैंने गरम तवा खिसकाया
पापा ने भी हाथ जलाया
चीख-पुकार मची थी घर में
काम हुआ न कोई
पापा ने आवाज़ लगाई
मम्मीजी तब उठ कर आईं
दोनों की आँखें कुछ बोलीं
हंसने लगी रसोई। ======
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