स्वागत
—कहानी—देवेन्द्र कुमार
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विलास और उसकी
पत्नी दामिनी घर का सामान पैक करने में लगे हैं। विलास को सरकारी मकान मिल गया है। दोनों खुश हैं।
सरकारी घर किराये के मकान से बड़ा है। लेकिन उनके दोनों बच्चे
अमित और रमा इस जगह को नहीं छोड़ना चाहते, न जाने क्यों! इस समय भी दोनों बालकनी
में खड़े हैं।वहां कई फूलदार पौधों के गमले रखे हुए हैं। एक बर्तन में पानी और
दूसरे में दाने रखे हैं वहां आने वाले परिंदों के लिए।
दोनों रोज देर देर तक बालकनी में फूलों और वहां उतरने वाले
परिंदों के बीच बने रहते हैं।उन्हें फूलों और परिंदों से गहरा लगाव है। वहीँ एक
पिंजरा भी लटका हुआ है, जिसमें दरवाजा नहीं है। उसमें भी दो कटोरियों में पानी और
दाने रखे हुए हैं। कई चिड़ियाँ उस टूटे दरवाजे वाले पिंजरे में भी आती जाती रहती
हैं जैसे उनका दूसरा घर हो। भला बिना
दरवाजे वाला पिंजरा क्यों लटका हुआ है?
अमित ने पिता से
कई बार पूछा है कि क्या नए घर में भी यहाँ जितनी बड़ी बालकनी है? पर ठीक से जवाब
नहीं मिला। दामिनी ने हंस कर कहा-‘तुम
कमरे में रहोगे या बालकनी में! यहाँ दो कमरे हैं तो वहां तीन।’
ट्रक सामान लेकर
नए घर की ओर जा चुका है,दामिनी ने आखिरी बार पूरा घर चैक कर लिया है कि कहीं कोई
सामान तो नहीं छूट गया। विलास नीचे चला गया है, लेकिन अमित और रमा अभी तक बालकनी
में खड़े हुए हैं। दामिनी ने पुकारा-‘ जल्दी नीचे आ जाओ।तुम्हारे पापा इन्तजार कर
रहे हैं।’ और फिर वह भी नीचे चली गई। कुछ देर बाद अमित और रमा भी आ गए। उनके मुंह
पर उदासी की छाप है, लगता है जैसे पुराने
दोस्तों से बिछुड़ना अच्छा नहीं लग रहा है।दोस्त मतलब बालकनी में उतरने वाले परिंदे
और फूलदार पौधे।
नए घर में पुराने
घर जितनी बड़ी बालकनी नहीं है,लेकिन कुछ गमले तो रखे ही जा सकते हैं।हाँ परिंदों को
बुलाने के लिए क्या करना होगा, अमित और रमा यही सोच रहे हैं।विलास और दामिनी कमरों
में सामान लगाने में जुटे हैं। तभी विलास के मोबाइल की घंटी बजी। उधर से कोई
रजत बोल्र रहा था। पता चला कि रजत का परिवार उसी घर में रहने आया है, जिसे विलास
ने खाली किया था। रजत कह रहा था-‘ कल
दोपहर की चाय हम सब मिलकर पियेंगे। अपने साथ अमित और रमा को जरूर लेकर आयें।’
विलास और दामिनी हैरान थे कि रजत उनके बच्चों को कैसे जानता है! क्योंकि दोनों
परिवार पहले कभी नहीं मिले थे।
जब दामिनी ने अमित
और रमा को रजत के निमंत्रण के बारे में बताया तो दोनों बहुत खुश हुए।
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विलास का परिवार
एक बार फिर पुराने फ़्लैट के दरवाजे के बाहर खडा था।विलास ने देखा-दरवाजे पर एक
कागज़ चिपका हुआ है जिस पर लिखा था-आपका स्वागत है,अमित, रमा और रजत परिवार। विलास
और दामिनी अपने बच्चों के नाम देख कर चकित रह गए।मामला समझ में नहीं आ रहा था। तभी दरवाजा खुल गया-रजत और उसकी
पत्नी सामने खड़े थे।दोनों ने एक स्वर ने
कहा-‘ आपका स्वागत है।’ दामिनी और विलास अंदर चले गए।उनके सोफे पर बैठने से पहले
ही अमित और रमा बालकनी में पहुँच चुके थे।लग रहा था जैसे वे बहुत दिनों से बिछड़े
हुए दोस्तों से मिल्र रहे हों।
विलास के मन में कई
प्रश्न उठ रहे थे। वह कुछ पूछता इससे पहले ही रजत ने कहा-‘ मैं जानता हूँ कि आप
क्या पूछने वाले हैं।यही न कि दरवाजे पर अमित और रमा के नाम क्यों लिखे हैं,
क्या मैं इन दोनों को पहले से जानता हूँ?
जी हाँ, जैसे ही हम लोग यहाँ आये तो सबसे पहला परिचय इन्हीं से हुआ।दरवाजे पर
चिपके कागज पर लिखा था-‘नए घर में आपका स्वागत है।’ जब मैं बालकनी में गया तो वहां
की दीवार पर चिपके कागज पर लिखा मिला-‘
आपका स्वागत है—हमारे पौधों और मेहमान
परिंदों का ध्यान रखें। हमें इनसे प्यार है। यहाँ लटक रहे पिंजरे को न हटायें। हम
हैं—अमित और रमा।’
विलास ने कहा मुझे
पता नहीं कि बच्चों ने यह सन्देश कब लिखा था। शायद यहाँ से जाने से ठीक पहले।’ दामिनी बोली-‘हाँ मुझे भी ऐसा ही लगता है।क्योंकि
मेरे बार बार कहने पर भी ये दोनों बालकनी से
बाहर आने को तैयार नहीं थे।हो सकता उस समय ये दोनों कागज पर नए आने वालों के
लिए सन्देश लिख रहे हों।’
रजत ने बालकनी की
ओर देखा जहाँ अमित और रमा अपने दोस्त
परिंदों और फूलों से बातें कर रहे थे,और हँसते हुए कहा –‘आप चाहे जो कहें
मैंने उनके सन्देश को पूरी गंभीरता से लिया और उस पर अमल भी कर रहा हूँ। मैंने
देखा कि अंदर आते ही दोनों सीधे बालकनी में अपने दोस्तों से मिलने चले गए। शायद वे
यही जानना चाहते हैं कि क्या मैंने पशु संरक्षण और पेड पौधों की उचित देख भाल के
उनके सन्देश को ठीक से समझा है। लेकिन टूटा पिंजरा वहां क्यों लटक रहा है,इसे मैं
नहीं समझ पाया हूँ।’
विलास ने
बताया-‘बिना दरवाजे वाले पिंजरे की भी एक कहानी है,एक रोज मैं और दामिनी बाज़ार में
घूम रहे थे।एक दुकान में हमें यह पिंजरा दिखाई दिया,इसमें बैट्री चालित खिलौना-
चिड़ियों का जोड़ा था,जो रह रह कर अपनी चोंच खोलता था और पंख फडफडाता था। हमें खिलौना
बहुत अच्छा लगा तो हम उसे घर ले आये और बालकनी में लटका दिया।’
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‘लेकिन बच्चों ने उसे रिजेक्ट कर दिया।’दामिनी बोली-‘दोनों
ने कहा कि इस खिलौने को बाहर फैंक दो।क्योंकि परिंदों को पिंजरे में नहीं खुले आकाश
में होना चाहिए।मैंने कहा कि ये असली परिंदे नहीं केवल एक खिलौना है। इस पर अमित ने
कहा कि पिंजरा तो असली है।’
‘अगले दिन हमें पिंजरे का दरवाज़ा टूटा हुआ मिला,खिलौना चिड़िया भी
गायब थीं।पता चला कि बच्चों ने खिलौना काम वाली बाई को दे दिया था और पिंजरे का दरवाजा
तोड़ दिया था।’विलास ने कहा। तभी अमित और रमा कमरे में आ गए। वे संतुष्ट दिख रहे थे।उन्होंने
पिता की बात सुन ली थी।अमित ने रजत से कहा-‘ अंकल, पिंजरा बुरी चीज है,उसे न घर में
होना चाहिए न बाहर।’
रजत ने कहा-‘तुम्हारी
बात एकदम ठीक है।’ फिर कहने लगा-‘मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी।’
‘ हमें भी बताइए अपनी कहानी’-रमा बोली। रजत बताने
लगा—कहानी कुछ इस तरह थी-एक जादूगर अपने जादू से एक भाई बहन को चिड़ियों में बदल कर
पिंजरे में कैद कर देता है।फिर एक साधु बाबा अपने मन्त्र बल से दोनों को जादूगर की
कैद से मुक्त करके उन्हें उनके असली रूप में ले आते हैं।’
दामिनी बोली-‘ऐसी एक कहानी मैंने भी पढ़ी थी-उसमें
जंगल के पशु पक्षी शिकारियों से बहुत दुखी हैं’, तब एक परी उनकी मदद करती है।शिकारियों
के घर पिंजरों में बदल जाते हैं।बाहर वन्यजीवों ने उन्हें
घेर रखा है।शिकारी चीख रहे हैं,वे कसम उठाते हैं कि आगे से कभी पशु पक्षियों का शिकार
नहीं करेंगे। तभी उन्हें परी के जादू से मुक्ति
मिलती है।’
‘इन कहानियों का सन्देश हम सबको समझना होगा।’-रजत
ने कहा। चाय पर लम्बी चर्चा चली।विदा लेते समय विलास ने कहा-‘ हमारे दोनों परिवारों
को अब लगातार मिलते रहना चाहिए। अगले रविवार को आप सपरिवार हमारे घर आमंत्रित हैं।’
इस पर रजत बोला—‘ हमें महीने में कम से कम दो बार
तो मिलना ही चाहिए।और हाँ अमित और रमा तो जब चाहें अपने दोस्तों से मिलने आ सकते हैं।’
‘वाह, यह तो बहुत अच्छा
होगा। अमित और रमा ने एक स्वर में कहा।
‘अब अमित और रमा हमारे परिवार में शामिल हो चुके
हैं ।’-रजत की पत्नी ने कहा।
‘और हम।’—दामिनी बोली । कमरे में खिल खिल गूंजने
लगी। सबसे ज्यादा खुश अमित और रमा थे।
(समाप्त)
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