कड़वा-मीठा गुड़—देवेन्द्र कुमार—बाल गीत
गुड़
के पीछे गुड़
दो
ठेलों पर गुड़
आगे
रमिया पीछे ढोलू
कहता-मैं
क्यों मीठा बोलूं
रमिया
का गुड़ झट बिक जाए
ढोलू
खड़ा-खड़ा पछताए
उसका
कड़वा गुड़
जैसे
ही रमिया आती है
वह
बच्चों से घिर जाती है
बिन
पैसे उनको गुड़ देती
कहने
पर भी कुछ न लेती
अच्छा, मीठा गुड़
ढोलू
देख-देख झल्लाए
तब
रमिया उसको समझाए
भैया
ढोलू आगे आओ
बच्चों
को तुम पास बुलाओ
झट
मीठा हो गुड़
गुड़
के पीछे गुड़
दो
ठेलों पर गुड़
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