छोटी-छोटी बातें मिलकर
एक बनेगी बड़ी किताब
पढ़ा लिखा था तुमने कितना
और बताओ कितना खेले
कब मम्मी की बात न मानी
कितनी बार झूठ बोले थे
काम न करने पर टीचर से
कब कब पड़ी कहो फटकार?
कैसे हंसे, रुलाया
किसने
पड़े पीठ पर कितने मुक्के
पापा क्यों गुस्सा होते हैं
मम्मी कब हंसती हैं भैया
दादी के चश्मे का शीशा
कब टूटा था?
ऐसी ही कितनी ही बातें
खट्ठी-मीठी प्यारी बातें
याद करोगे तो फिर मिलकर
एक बनेगी बड़ी किताब
यह तो होगी प्यारी प्यारी
हंसनी-रोनी अजब किताब
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