पापा
थैले में कुछ लाए
बोले-यह है नई मिठाई
ना रसगुल्ले, ना यह बरफी
बालूशाही, नहीं
इमरती
हलवाई से दूर रहे यह
ऐसी है यह अजब मिठाई
मैंने पूछा नाम बताओ
मां बोलीं-आंखों से खाओ
जल्दी से जो थैला खोला
हमें मिली क्या खूब मिठाई
दो नाटक और बीस कथाएं
कुछ पन्नों ने गीत सुनाए
पढ़कर मैं पापा से बोला
आंखें मांगें और मिठाई।
--देवेन्द्र कुमार
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