Friday 26 October 2018

बताओ किसे दूं--देवेन्द्र कुमार--कहानी बच्चों के लिए




बताओ किसे दूं ?—देवेन्द्र कुमार—कहानी बच्चों के लिए
        
===उपहार,गिफ्ट प्रेजेंट –नाम कुछ भी हो,देने से पहले यह फैसला तो करना ही होगा कि वह किसे दिया जाये? वह कौन है जिसे उपहार दिया जा सकता है? यह निर्णय करना बहुत कठिन था. न कोई नाम सूझ रहा था और न इस समस्या का समाधान! और क्या उसे उपहार कहा भी जा सकता था

=== दादी पूजा कर रही थीं. अमिता बेसब्री से उनकी पूजा समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रही थी. उसने माँ से आइसक्रीम के लिए पैसे मांगे थे, पर उन्होंने मना कर दिया--’’हर समय आइसक्रीम!नहीं आज नही.कल पापा से कहना, वह दिलवा देंगे.’’
        अमिता झट दादी के पास जा पहुंची.जब मम्मी-पापा किसी चीज के लिए मना कर देते हैं तब दादी ही उसकी फरमाइश पूरी करती हैं. आज भी वह इसीलिए दादी के पास आई थी. आखिर उनकी पूजा समाप्त हुई. अमिता ने देखा कि दादी उठते हुए लड़खड़ा गईं. उसने झट उन्हें सहारा दिया तो वह गिरने से बच गईं, पर उनके मुंह से एक कराह निकल गई. अमिता को मालूम है कि दादी के घुटनों में दर्द रहता है. इसलिए उन्हें दर्द कम करने वाली दवा लेनी होती है.’’दादी,लगता है आज आपके घुटनों में ज्यादा दर्द है.’’—अमिता ने कहा. एक पल के लिए वह आइसक्रीम की बात भूल गई.
        दादी दर्द में भी मुस्करा दीं, उन्होंने अमिता का सिर सहला दिया. बोलीं—‘’दर्द तो रहता ही है. भगवान् की जैसी मर्जी.’’
       अमिता ने कहा—‘’दादी, आप भगवान् की इतनी पूजा करती हैं,फिर भी वह आपकी बात नहीं सुनते. ऐसा क्यों.’’                   
       ‘’कौन सी बात?’’
        ‘’आप अपने घुटनों के दर्द के बारे में भगवाव से क्यों नहीं कहतीं. तुम कहती हो न कि भगवान् सबकी इच्छा पूरी करते हैं.’’
         ‘’हाँ करते तो हैं.’’
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      ‘’ तो भगवान् से कहो कि आपके घुटनों का दर्द ठीक कर दें.’’                                      
      ‘’भगवान् से हर समय अपने लिए कुछ न कुछ मांगते रहना तो ठीक नहीं. वह मुझे लालची समझेंगे. ‘’--कहते हुए दादी  मुस्करा दीं.
      अमिता ने कहा—‘’दादी.तुम ठीक कह रही हो. देखो मैंने आज तक भगवान् से कुछ नहीं माँगा. मुझे जो कुछ चाहिए वह सब मम्मी –पापा या आप दिला देती हैं.’’
      दादी समझ गईं. उन्होंने कहा—‘’मेरी बिटिया को आइसक्रीम खानी है-क्यों?’’
      अमिता मुस्करा दी. दादी ने अमिता को पैसे देते हुए कहा—‘’जाओ आइसक्रीम ले लो.’’
       ‘’ दादी, आइसक्रीम बाद में, मुझे पहले आपके घुटनों के दर्द के बारे में भगवान् से बात करनी है. मैं उनसे कहूँगी कि आपके घुटनों का दर्द झटपट ठीक कर दें.’’--कह कर अमिता आँखें मूँद कर भगवान् की प्रतिमा के सामने बैठ गई. 
        दादी दिलचस्पी से अमिता को देखती रहीं. उनके मन में अमिता के लिए प्यार उमड़ रहा था. वह छोटी बच्ची अपनी दादी के घुटनों के दर्द को लेकर बहुत परेशान थी. कुछ देर तक अमिता होठों ही होठों में कुछ बुदबुदाती रही फिर दादी की ओर देख कर मुस्करा दी.
        ‘’अमिता, तुमने भगवान् से क्या कहा.’’—उन्होंने पूछा.
        ‘’मैंने कहा—भगवान्,मेरी दादी के घुटनों का दर्द जल्दी से ठीक कर दो .’’
         ‘’फिर भगवान् ने तुम्हें क्या जवाब दिया?’’
        ‘’दादी,भगवान् की आवाज तो मुझे नहीं सुनाई दी,पर मुझे विश्वास है उन्होंने मेरी प्रार्थना जरूर सुनी होगी. अब देखना तुम्हारे घुटनों का दर्द जल्दी ही छूमंतर हो जायेगा.’’—अमिता ने हँसते हुए कहा.               
        उस रात सोने से पहले अमिता ने दादी से कई बार पूछा—‘’ आपके घुटनों का दर्द कैसा है? कुछ कम तो जरूर कर दिया होगा भगवान् ने.’’
        ‘’बेटी, तेरी प्रार्थना बेकार नहीं जाएगी. थोडा आराम तो है दर्द में.’’—दादी ने कहा.
       ‘’इसका मतलब यह हुआ कि भगवान् ने मेरी बात मान ली.’’ –-अमिता ने प्रसन्न स्वर में कहा.
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       ‘’हाँ बिटिया,भगवान तो सब की प्रार्थना सुनते हैं. अब आराम से सो जाओ.’’—दादी ने कहा. अमिता नींद की गोदी में गई तो जरूर लेकिन दादी से कहानी सुनने के बाद. यह रोज का नियम था.         अमिता की मम्मी जब रात में उससे सोने के लिए कहतीं तो वह झट दादी के पास दौड़ जाती. और दादी अपनी कहानी के झूले पर झुलाती हुई अमिता को सपनों की दुनिया में पहुंचा देतीं. अगली सुबह नींद खुलते ही अमिता दादी के पास दौड़ गई. दादी उस समय पूजा कर रही थीं. पर अमिता बैचैन थी. उसने पुकारा—‘’दादी,दादी! जल्दी से बताओ कि आपके घुटनों का दर्द अब कैसा है ?क्या दर्द कम नहीं हुआ है, तब तो मुझे भगवान् से आज फिर प्रार्थना करनी होगी कि आपके घुटनों का दर्द तुरंत छू मंतर कर दें.
        ‘’ बिटिया, दर्द तो अब भी हो रहा है.’’—दादी ने कहा और हंस पड़ीं.
         ‘’इसका मतलब है कि भगवान् ने मेरी बात नहीं मानी.’’—कहते हुए अमिता उदास हो गई.
         ‘’अमिता, कल रात भगवान् मेरे सपने में आये थे.’’
         ‘’क्या कहा भगवान् ने?’’—अमिता ने पूछा.
        ‘’उन्होंने कहा –‘’ तुम अमिता की प्यारी दादी हो.मुझे उसकी बात तो माननी ही होगी,पर एक समस्या है.’’
          अमिता ध्यान से दादी की बात सुन रही थी. ‘’कैसी समस्या दादी?’’
           दादी ने आगे कहा—‘’ भगवान् बोले--‘’ तुम्हारे घुटनों का दर्द तो मैं ठीक कर दूंगा, पर तुम्हारे दर्द को मैं अपने पास तो रख नहीं सकता. तुम्हारा दर्द किसी और को देना होगा. बताओ किसे दूं तुम्हारे घुटनों का दर्द?’’   
           अमिता बोली—‘’ इसमें क्या मुश्किल है. अगली बार जब भगवान् आपके सपने में आयें तो आप कह देना कि वह आपके घुटनों का दर्द किसी को भी दे दें.’’
          ‘’बिटिया, तुम जो नाम बताओगी वही मैं भगवान् से कह दूँगी.’’
          ‘’अमिता सोचती रही पर उसे कोई नाम नहीं सूझा. बोली—‘’ दादी, इतनी बड़ी दुनिया है,भगवान् आपके घुटनों का दर्द किसी को भी दे सकते हैं. बस आपका दर्द ठीक होना चाहिए.’’
           ‘’कोई नाम तो बताओ?’’—दादी ने कहा.
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         काफी समय इसी उलझन में बीत गया.दादी ने अमिता का सिर सहलाते हुए कहा—‘’बिटिया, दर्द या बीमारी कोई मिठाई नहीं जो भगवान् किसी को भी दे दें. वह तो सब को अच्छी अच्छी चीजें देते हैं. हमें ख़ुशी बांटनी चाहिए,दर्द या दुःख नहीं.’’
        ‘’ दादी,इस शहर में हम बहुत से लोगों को नहीं जानते. भगवान् उनमें से किसी को भी आपके घुटनों का दर्द दे सकते हैं.’’
         ‘’बिटिया,क्या यह बात ठीक होगी कि मेरे पैरों का दर्द किसी अनजान आदमी के पैरों में चला जाये?’’—दादी पूछ रही थीं.
        ‘’नहीं यह अच्छा तो नहीं होगा.पर फिर आपके घुटनों का दर्द कैसे ठीक होगा? ‘’
         दादी ने अमिता को गोद में भर लिया. उसके बाल सहलाती हुई बोलीं—‘’हम किसी के जन्मदिन पर बढ़िया उपहार देते हैं. लेकिन क्या दर्द भी उपहार में देना चाहिए?’’
         ‘’नहीं .’’—अमिता बोली.           
         ‘’बस इसीलिए मैंने भगवान् से दिया कि वह मेरा दर्द किसी को न दें. क्योंकि मेरी प्यारी अमिता यह एकदम अच्छा नहीं लगेगा. और फिर मेरी नींद टूट गई.’’ कह कर दादी हंसने लगीं.
           ‘फिर?’’ अमिता ने जानना चाहा.
            ‘’फिर यही कि समय पर दवा लूं और परहेज करूं.’’
             ‘’और आज आपने दवा नहीं ली.’’—कहती हुई अमिता दादी की दवा लेने दौड़ गई. दादी धीरे धीरे हंस रही थीं,  ( समाप्त )     
                   
           

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