Friday, 29 September 2017

ना अब नहीं



पक रही है कढ़ी
भूख सिर पर खड़ी
 भात है चांदनी
धूप सी  है कढ़ी

माँ कहे सब्र कर
भात में है कसर
ना अब नहीं
भूख सिर पर खड़ी

झट खिला दे मुझे
भात के संग कढ़ी

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