देवेंद्र कुमार का रचना-संसार (बाल साहित्य)
Friday, 29 September 2017
ना अब नहीं
पक रही है कढ़ी
भूख सिर पर खड़ी
भात है चांदनी
धूप सी
है कढ़ी
माँ कहे सब्र कर
भात में है कसर
ना अब नहीं
भूख सिर पर खड़ी
झट खिला दे मुझे
भात के संग कढ़ी
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