Saturday 25 April 2015

बाल कहानी : रोटी ने कहा






                                                                      

 ढाबे में सुबह से आधी रात तक हाड़ तोड़ मेहनत करते हुए भोलू लगातार एक ही बात  सोचता रहता है-आखिर मालिक रामदीन उसी पर इतना गुस्सा क्यों करता है. भोलू  को उसका चाचा रामदीन के पास छोड़ गया था. भोलू की माँ गाँव में अकेली रहती है. भोलू के पिता नहीं रहे,रोटी का जुगाड़ मुश्किल था. ऐसे में भोलू स्कूल जाने की जिद करता था. माँ ने भोलू के चाचा  से कहा जो शहर में नौकरी करता था. वह उसे अपने साथ ले तो आया पर घर में नहीं रखा, सीधा रामदीन के ढाबे पर ले गया. उन दोनों में  क्या बात हुई कोई नहीं जानता. रामदीन को बिना पैसे का नौकर मिल गया. भोलू को सुबह से रात तक काम और सिर्फ काम करना पड़ता था. जब जो मिलता उसी से पेट भर कर ढाबे के अन्दर ही रात बिताता था.
भोलू का मन  माँ से मिलने का होता तो रो कर काम में  लग जाता. उसका चाचा जब रामदींन से मिलने आता तो भोलू उससे माँ से मिलने की बात कहता. वह घुड़क कर चुप करा देता. कहता –‘तूने उसे बहुत परेशान कर रखा था, इसीलिए उसने तुझे यहाँ भेजा है. मन लगा कर काम किया कर.’ रामदीन उसकी शिकायत करता.  भोलू ने एक दो प्लेटें तोड़ दी थीं . उसने भोलू को बहुत  मारा था.’ कहा था –‘ मैं तेरे पैसे भी तो नहीं काट सकता.’ कारण था कि पगार के  नाम पर तो भोलू को एक पैसा भी  नहीं मिलता था. इसलिए किसी भी टूटफूट के दाम उसे पिट कर ही चुकाने पड़ते थे. ढाबे में और भी कई छोकरे काम करते थे. पर उन्हें इतना कष्ट नहीं सहना पड़ता था. क्योंकि उनसे हुए नुक्सान की भरपाई उनके वेतन से कटौती करके हो जाती थी. एक-दो लड़के काम छोड़ कर चले भी गए थे. इसलिए रामदीन उनसे ज्यादा कुछ  नहीं कहता था. भोलू ही अलग थलग पड़ गया था.
वह कुछ नहीं कर सकता था. एक दिन भोलू आटा गूंध रहा था, तभी रामदीन आकर उसे  मारने लगा. कोई कुछ नहीं समझ सका. असल में भोलू का चाचा आकर रामदीन से पैसे मांग रहा था. उसने कहा कि भोलू के बदले में कुछ तो मिलना ही चाहिए. रामदीन ने कह सुनकर चाचा को भगा दिया, और फिर आकर भोलू को पीटने लगा. बेचारा भोलू ! वह कुछ समझ नहीं सका. रोता हुआ आटा गूंधने का काम करता रहा. बहते आंसू टप टप आंसू आटे में टपकते रहे. फिर तो यह हरकत कई बार दोहराई गई. भोलू रोकर अपने मन को शांत कर लेता. एक दिन भोलू का चाचा फिर पैसे मांगने आया. उस दिन तो हद ही हो गई. रामदीन ने भोलू को खूब मारा. पिटने के  बाद भोलू आंसू पोंछ कर फिर से काम में लग गया. आंसू टपकते रहे.
खाना तैयार था, ग्राहक खाना खाने लगे. तभी ढाबे में शोर मच गया, ग्राहक खाना फेंकने लगे. वे कह रहे थे कि रोटियाँ कडवी हैं. रामदीन घबरा गया. उसने ग्राहकों को शांत करना चाहा ,फिर खुद भी रोटी का टुकड़ा खाकर देखा. अरे यह क्या! रोटी सचमुच बहुत कडवी थी. उसने नौकरों  से  तुरंत ताज़ी रोटियाँ बनाने को कहा. लेकिन ताज़ी रोटियां भी कडवी थीं. सारे  ग्राहक जोर जोर से चीखते , गालियाँ बकते हुए चले गए. बाज़ार में शोर मच गया. उस शाम रामदीन के ढाबे पर कोई  ग्राहक नहीं आया. रामदीन बुरी तरह घबरा गया. उसने दूकान में रखा सारा आटा  फिकवा दिया. आटे की नई  बोरी लाया . फिर भोलू के गालों पर चपत लगाते हुए बोला-‘ शैतान, तूने जरूर कोई गलत चीज़ मिला दी  होगी आटे में .’ उस दिन भोलू के बदले किसी और  नौकर ने आटा गूंधा , रोटियाँ बन कर तैयार हुईं तो सबसे पहले रामदीन ने एक टुकड़ा खाकर देखा. फिर तुरंत थूक भी  दिया. मुहं कड़वा हो गया.देर तक पानी से कुल्ला करता रहा पर मुंह की कडवाहट दूर न हुई. रामदीन ने नई नई  दुकानों से आटा  मंगवा कर देख लिया पर वहाँ बनने  वाली रोटियों का स्वाद  कड़वा ही रहा.
भूत प्रेत का चक्कर समझ कर सारे नौकर भाग गए. खुद रामदीन का भी पता नहीं था. शाम हो गई. भोलू ढाबे में अकेला बैठा था. एक तरफ सुबह बनी रोटियाँ पड़ी थीं. भोलू ने दो दिन से कुछ नहीं खाया था. उसने रोटी का टुकड़ा तोड़ कर मुंह  में डाल लिया.अरे यह क्या! मुंह में अजीब मिठास घुल गया.वह खाता गया.ऐसी मीठी रोटी तो उसने इससे पहले कभी नहीं खाई थी. भोलू के मुंह से निकला –‘ पर रोटियां तो कडवी थीं! फिर यह मीठी  रोटी!’ कानों में आवाज़ आवाज़ आई- आंसू से गीले आटे की रोटियाँ तो कडवी ही होंगी . भोलू को लगा जैसे आवाज़ रोटी  से आ रही हो. वह खाता रहा. पता नहीं उसने जैसे बहुत दिनों से रोटी नहीं खाई थी.पेट भर गया था अब उसे नींद आ रही थी.   ==  

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